सुशांत, भाई ऐसा क्या हुआ जो यूँ चले गए......
तुम तो उन लोगों के मार्ग दर्शक थे जो अपने जीवन में स्थिरता से ज्यादा जुनून के दीवाने थे.
तुमने यह भी न सोचा कि तुम जिन किरदारों से लोगों में हिम्मत भरते आए हो.....
वो किरदार कितने खोखले हो जाएंगे....
क्या ये इतना जरुरी था???
तुम तो बिना फाइनल इयर पूरा किये उस रंगमंचीय आकाश में चले गये थे जहाँ चहुँ ओर घना अंधकार था.
और फिर अपने किरदारों की रोशनी से तुमने साबित कर दिया की तुम सूरज की तरह रोशनी देने आए हो....
और अचानक इस ग्रहण ने अंधेरा कर दिया....
भाई तुम से ये उम्मीद न थी.....
तुम तो उन लोगों के मार्ग दर्शक थे जो अपने जीवन में स्थिरता से ज्यादा जुनून के दीवाने थे.
तुमने यह भी न सोचा कि तुम जिन किरदारों से लोगों में हिम्मत भरते आए हो.....
वो किरदार कितने खोखले हो जाएंगे....
क्या ये इतना जरुरी था???
तुम तो बिना फाइनल इयर पूरा किये उस रंगमंचीय आकाश में चले गये थे जहाँ चहुँ ओर घना अंधकार था.
और फिर अपने किरदारों की रोशनी से तुमने साबित कर दिया की तुम सूरज की तरह रोशनी देने आए हो....
और अचानक इस ग्रहण ने अंधेरा कर दिया....
भाई तुम से ये उम्मीद न थी.....